________________ ___ कुमार ने वृद्ध को देख कर नमस्कार किया, वृद्ध ने आशीर्वाद देकर कहा "अहो ! तू राजा मन्मथ का पुत्र रूपसेन है (क्यों कि इस ने कई वार रूपसेन को अपने पिता की सभा में बैठे देखा था)। ___ कुमार ने वृद्ध से पूछा, "हे देव ? तुम इस समय कहां जारहे हो"। उसने उत्तर दिया कि मैं राजा मन्मथ के दरवार में जारहा हूँ। रूपलेन ने कहा जल्दी जाइये। वुद्ध ने पूछाकुमार! तुम इस समय कहां जा रहे हो?" रूपसेन बौलो-परदेश घूमने की इच्छा से जा रहा हूँ। वृद्ध-इस में अवश्य ही कोई कारण है. जो तुम अकेले __ परदेश जा रहे हो। रूपसेन-कारण तो कमी का है। / वृद्ध- तुम अवश्य ही क्रोधित होकर घर से निकले हो। तुम को अपने घर वापिस चलना चाहिये, बुद्धिमानों को क्रोध न करना चाहिये। वृद्ध के अनुरोध पर भी कुमार ने पीछे लौटना न चाहा। वृद्ध ब्राह्मण ने कुमार को फिर कहा-कुमार ? विदेश में बहुत दुःख होते हैं-तू कुमार है अपने घर को वापिस चल / परन्तु कुमार पूरे रङ्ग में रङ्ग चुका था। उसने कहा : संसार में समर्थों के लिये कोई भार नहीं है, उद्यागियों के लिये कुछ दूर नहीं है, विद्वानों के लिये कोई विदेश नहीं, मीठा बोलने वालों के लिये कोई दूसरा नहीं, अर्थात् सब ही P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust