________________ 58 ] क रत्नपाल नृप चरित्र * . विवाह कर लिया। इसके बाद संसार से विरक्त मन वाले राजा रत्नसेन ने जामाता को सारा राज्य देकर दीक्षा ग्रहण करली / . . 3 राजा रत्नपाल अपनी स्त्री के साथ कितनेक दिन वहां रहकर राज्य के प्रबन्ध के लिए मुख्यमन्त्री को नियुक्त कर मार्ग में अमूल्य उपहार पूर्वक अनेक राजाओं से पूजित तथा सेना से पृवी को कंपाता हुआ क्रमसे अपने नगर में पहुंच गया। जिस - इधर नांव द्वारा राजा के अपहरण होने पर मन्त्री और सामन्त लोग किंकर्तव्य विमूढ हुए व्याकुलता से आपस में विचारने लगे कि हा ! राजा का शुभाशुभ वृत्तांत और स्वरूप मालूम नहीं होता। अब हम लोग क्या करें, इस अस्वामिक राज्य की कैसे रक्षा होगी ? प्रायः निःस्वामिक राज्यों की अच्छी तरह रक्षा न होने से दुष्ट राजा लोग अधिकार कर लेते हैं। जैसे देवलोक से किसी देवता के च्यवने पर यदि दूसरा देवता उत्पन्न न हुआ हो तो उस. राज्य को अन्य देवता लोग अधिकार में कर लेते हैं। महा भाग्यशाली तथा बलशाली राजा रत्नपाल का राज्य तो यहा हो वा . अन्यत्र, इस समय तो हम उसके पद के कृतज्ञ हैं। इस P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust