________________ * रत्नपाल नप चरित्र * से हृदय और नेत्र को प्रसन्न करने वाला पुत्र नहीं है। केवल कनकावली नामक रानी से दो कन्यायें हुई हैं। उनमें से पहिली का नाम कनकमंजरी और दूसरी का नाम गुणमंजरी है। उन दोनों कन्याओं के यौवन आने पर अचानक गलत्कुष्ठ और अन्धता हो गई। राजा की आज्ञा से नाना शास्त्र को जानने वाले वैद्यों ने अनेक औषधियों से चिकित्सा की, मन्त्र शास्त्रियों ने अनेक मन्त्रतन्त्र और यन्त्र से विश्वास और शुभ उत्साह के साथ अनेक प्रतिक्रियायें की। अन्य भी बहुत से जानकारों ने अपने 2 आम्नाय के अनुसार प्रयत्न किये / परन्तु उन कन्याओं के कर्म के अनुभाव से थोड़ा भी गुण नहीं हुआ। रोग से व्याकुल हुई दोनों कन्यायें अपने मनुष्य भव को व्यर्थ मानती हुई दुःख से मरने के लिए तत्पर हुई। उनके अत्यन्त स्नेह पाश से वन्धे हुए प्रेम वाले राजा और रानी भी उनके पीछे मरने को दृढ़तत्पर हुएं / किंकर्तव्य विमूढ़ गुप्त प्रयोजन वाले मन्त्रियों ने राज्य की अधिष्ठात्री देवी की अनेक प्रकार की पूजा अर्चना. से आरा'धना आरम्भ की। तब देवी ने प्रसन्न होकर आकाश में - ठहर कर सब लोगों के सन्मुख स्पष्ट वाणी से कहा- हे - लोगो ! मेरे प्रयोग से प्रेरित होकर रत्नपाल नृप पाटलिपुत्र _ नगर से नाव में चढा हुआ शीघ्र ही यहां आवेगा। वह P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust