________________ ही आप गुण के भण्डार हैं। क्रम से माता-पिता द्वारा लालन-पालन किये जाने पर जिस प्रकार शुक्ल पक्ष में नक्षत्रेश दिन प्रतिदिन बढता जाता है, उसी. भांति माता-पिता के मनोरथ के साथ बढने लगे। जब आपकी आयु 5 वर्ष की हुई तब नीति अनुसार आपको एक अच्छे सुशिक्षित कलाचाये के निकट विद्याधयन के लिए रक्खे गये। अल्प काल ही में आपने अपनी तीव्र बुद्धि का परिचय दे दिया। शिक्षक इनके विनयगुण व विद्याभ्यास के परिश्रम को देखकर आप पर नित्य प्रसन्न रहा करता और सहपाठी ईर्ष्या से जलते रहते / व्यवहारिक ज्ञान के साथ साथ आप धार्मिक अभ्यास भी . करते रहे। केवल सात वर्ष की वाल आयु में आपने. दो प्रतिक्रमण मौखिक याद कर लिये। बचपन से ही आपकी : प्रवृत्ति धर्म के प्रति विशेष थी। नित्य पिताजी के साथ जिन मन्दिर में दर्शन करने के लिये तथा उपाश्रय में व्याख्यान श्रवण के लिये जाया करते थे। यदि अपने गांव में किसी मुनिराज का आगमन सुनते तो आपका मुख प्रफुल्लित हो जाता और तुरन्त ही वहां जा पहुँचते / तथा उनके मुखारविन्द से सुधामयी भारती का श्रवण करते, उन उपदेशों को अपने जीवन में परिणित करने की कोशिश करते / अन्त में इन्होंने उन प्रवृत्तियों को मन में वसा ली और वैराग्योपदेश का सहारा मिलने पर संसार रूपी भव समुद्र से पार उतारने P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust