________________ * सादर समर्पणःपरम पूज्य विशुद्ध चारित्र चूड़ामणी प्रातःस्मरणीय सुविहितनाम धेय विद्वद्वन्द वन्दनीय धर्मधुरंधर आगमपरिशीलनशाली शास्त्रविशारद व्याख्यान वाचस्पति परमशान्त अनुयोगाचार्य पन्यासजी महाराज श्रीमद् हीर मुनिजी गणि के करकमलों में यह कृति सादर समर्पण करता हूँ लेखक-विनीत चरणोपासक सुरेन्द्र / P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust