________________ प्रत्येक / मजायत // 37 // अ॒माद॑डेन चंडेन / मूलादुन्नूलयस्तरून् // पश्यत्सु सर्वलोकेषु / स च: चालटवींप्रति // 30 // विकटाः सुजटास्तत्र / विचित्राः शस्त्रपाणयः // समकालं गजं धर्तुचरित्रं मन्वधावंस्त्वरातुराः // ३ए / कांश्चिचरणघातेन / अ॒मादंडेन काश्चन // कांश्चिद्दशनंघातेन / दलयामास सोऽचिरात् // 40 // जटैरस्खलितगति-वेगवांश्चमवायुवत् ॥राज्ञी राजानमादा-यास जगाम महाटवीं // 41 // गबता चिरकालेन / जुजा मार्गमंतर // वटवृक्षोऽग्रतो || दृष्टः / शाखानिः शोनितोऽजितः // 45 // तेनोक्तं हे प्रिये हस्ती / वटाधस्ताद् ब्रजेयदा // तदा त्वया गृहीतव्या / लंबिता वटवबरी // 3 // एवमुक्ते नरेंद्रण | पद्मावत्यज्यधादिति॥ यदादिशति देवो मे / करिष्ये तदहं प्रनो // 4 // वेगात्तत्र गज़े प्राप्ते। लब्धलक्ष्यो. नरेश्वश्वरः // आखलंबेऽविलंबेन / प्रलंबां वटवल्लरीं // 45 // रांझी, तु स्त्रीखनावेन / लब्धलक्ष्यत्व- / वर्जिता // नाशकाबरी धतु / गजारूढेव निर्गता // 46 // नरेंडोऽपि विलक्षात्मा / संत्रांतनयनध्यः // स्फालच्युतो जुमालंबी / शाखामृग श्वानवत् // 4 // गजपृष्टे दधावेऽत्र / मु. हिं बध्वा नरेश्वरः // गजस्तु वायुवजवं-स्तस्यादृश्योऽवत्क्षणात् // 4 // धावनेन प्रजू- / P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust