________________ ची। ततो मुनिरजापत // 5 // // गुणचंझो गुणधर / इत्यास्तां हो सहोदरौ॥ गुणश्रीगुणमा- . / खाख्ये / जाते जायें तयोः शुने // 60 // नवे द्वितीये चत्वारोऽप्यासन देवास्त्रिविष्टपे / तृतीयेऽथ पुष्पासिंह-रत्नसिंहो महौजसौ // 61 // तत्प्रिये कुसुममाला / तथा च वनसुं. दरी॥ चत्वारोऽपि चतुर्थेऽथ / देवलोकेऽनवन् सुराः // 6 // सागरदेवसागर-दत्ताख्यौ पंचमे चचे // चंमतीनानुमत्यौ / जाते तहसने उन्ले // 63 // षष्टे जवेऽजवन् सर्वे / सुपवणिः 'सुरालये // तेषु सागरदेवस्य / जीवः पद्मरथोऽजनि // 64 // जज्ञे चंद्रमतीजीवः / पुरूपमाखेति तस्त्रिया // तथा जानुमतीजीवः / सुतश्चंज्यशास्तव // 65 // जीवः सागरदत्तस्य / द्वितीयस्तनयस्तव // तं विलोक्य वने पद्म-रथो हर्ष परं ययौ // 66 // पूर्वषनवरा| मैण / स आदाय ययौ गृहं // वर्धते पाठ्यमानोऽसौ / सांप्रतं पुष्पमालया // 6 // अस्मिनेव जवे जीवाश्चत्वारोऽमी स्वकर्मणां // यं कृत्वा गमिष्यति / मोदमदंयसौख्यदं // // 6 // जकत्वैवं विरते साधौ / विमानं तत्र पुष्करात् // सदीप्त्यवततारैक-मेकस्तस्मात्सु. ॥रोक्तमः // 6 // निर्गत्य मदनरेखां / प्रदत्तत्रिप्रदक्षिणः // प्रणनाम महाजक्त्या। मणिचूंग Ac..Gunratnasuri M.S.. Jun Gun Aaradhak Trust