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________________ ANGRAHResdastakestra श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् TRISARTANTRASTRIVERSAIResults हिन्दी .. फिर दमयंती के अत्यंत प्रार्थना करने से उस कुब्जने बिलिफल और पेटीमें से वस्त्र आदि निकाले और पहनकर वह सत्य स्वरूपवाला नलराजा प्रगट हुआ||८६१॥ मराठी:- नंतर दमयंतीने अत्यंत प्रार्थना केल्यानंतर त्या कुब्जाने बेलफळातून व करंडवात्न वस्त्र, अलंकार वगैरे कादन परिधान केले सुंदर रूप असलेला खरा नलराजा प्रकट झाला.।।८६१।। English :- Then due to the contnes petitions off Damyanti, he took of the wood-apple and the celestial gesment from his box and wearing it came in his original form. तथास्थं वीक्ष्य त भैमी प्रेमपूरादिवातुरा।। लतेव पादपं गाढमवगूढा स्ववल्लभम् / / 862 / / अन्वयः- तथास्थं तं वीक्ष्य प्रेमपुरात् इव आतुरा भैमी लता पादपम् इव स्ववल्लभं गाढम् अवगूढा / / 862 // विवरणम:- तथा स्वरुपेण तिष्ठतीति तथास्थ: तं तथास्थं स्वरुपेण तिष्ठन्तं तं नलं वीक्ष्य अवलोक्य प्रेम्ण: पूरः प्रेमपूरः, तस्मात प्रेमपूरात् इव आतुरा उत्सुका भीमस्यापत्यं स्त्रीभैमी भीमकन्या दमयन्ती यथालतापादै: पिवतीति पादयः, तंपावपं वृक्षं गाढमालिङ्गति तथा स्वस्यवल्लभ: स्ववल्लभः तं स्ववल्लभं स्वप्रियं नलं गाढम् अवगूढा आलिजितवती // 862 // सरलार्थ:- स्वरुपस्यं तं दृष्ट्वा प्रेमप्रात् इव आतुरा दमयन्ती लता वृक्षं यथा गाढमालिङ्गति तथा स्ववल्लभं नलं गाढम् आलिङ्गितवती // 86 // ગુજરાતી:- સત્ય સ્વરૂપમાં રહેલા તેનલરાજાને જોઈને દમયંતી જાણે પ્રેમના ઉભરાથી ઉસુક થઈ વૃક્ષને વેલડીની પેઠે પોતાના साभीने १०भी५ी.॥८६२॥ हिन्दी :- असली स्वरूप में आये हुए नलराजा को देखकर दमयंती प्रेम के आवेग से उत्सुक होकर वृक्ष की लताओं के समान अपने स्वामी से लिपट गई। // 862 // 騙騙騙騙騙騙騙騙騙騙案罪騙騙騙騙騙驗
SR No.036462
Book TitleNal Damayanti Charitrayam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayshekharsuri, Sarvodaysagar
PublisherCharitraratna Foundation Charitable Trust
Publication Year
Total Pages915
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size93 MB
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