________________ ORIESoapdapadiaposश्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् STAR - अथार्चानन्तरं सापि, सुधासारकिरा गिरा॥ सद्य: स्वागतिकीभूय, सार्थवाहमवार्तयत् // 380 // अन्वय :- अथ अर्चानन्तरं सापि सुधासारकिरा गिरा सध: स्वागतिकीभूय सार्थवाहम् अवार्षयत् // 380 // विवरणम :- अथ अर्चाया: अनन्तरम् अर्चानन्तरं सा दमयन्ती अपि सुधाया: सार: सुधासार: सुधासारं किरति इति सुधासारकी: तया सुधासारकिरा अमृतवर्षिण्या गिरा वाण्या सध: स्वागतं करोति इति स्वागतिकी। न स्वागतिकी अस्वागतिकी। अस्वागतिकी स्वागतिकी भूत्वा स्वागतिकीभूय सार्थ वहति इति सार्थवाह: तं सार्थवाहम् अवार्तयत् वातो अकरोत // 380 // सरलार्य :- अथ पूजायाः अनन्तरं सा दमयन्ती अपि अमृतवर्षिण्या वाण्या सय; सार्थवाहस्य स्वागतं कुर्वाणा सार्यवाहेन वार्ताम् अकरोत् / / 380 // ગુજરાતી:- પછી દેવપૂજા કર્યા બાદ દમયંતી પણ અમૃતરસને વરસનારી વાણી વડે તુરત સાર્થવાહનું સ્વાગત કરીને તેની સાથે વાર્તાલાપ કરવા લાગી. 380. - फिर देवपूजा करने के पश्चात् दमयंती अमृतरस को बरसाती हुई वाणी द्वारा तुरंत ही सार्थवाह का स्वागत कर के उसके साथ वार्तालाप करने लगी // 380 // मराठी:- देवपूजा केल्यानंतर ती दमयंती पण अमृतरसाचा वर्षाव करणाऱ्या वाणीने त्या सार्थवाहाचे स्वागत करून त्यांच्याशी वार्तालाप करू लागली. // 380 / / English - Then Damyanti after finishing her customary rites, she at once welcomed the chef with sweet words (Which seemed like ambrosia flowing from her mouth) and began having a conversation with him.