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________________ PROGRAMMARRRRRANAMAHARोमवशेररिविरचितं श्रीवलक्षणयन्तीचरिचय MAHARANP er-arpoan 12 1 2 BR JOFFIFIFALFALFAIRLFICELFIFIEFFECall 188 12 निपिने दमयन्ती विपिने दमयन्ती 714 परिकत्य परिक्रम्य 188 15. कस्निन्नपि दमयन्ती कस्मिन्नपि दमयन्ती 114 ज्वलयभ्दिः ज्वलयद्भिः 680 11 अपराध: अपराधम् 717 तन्नमश्रवणं तन्नामश्रवणं बंन सनर्गता वनं वनंगता 718 सरोषम् अवतद् सरोषम् अवदत् पुनर्माद्धिनोदार्थन पुनर्मद्धिनोदार्थम् 722 स्मामहं स्याम् अहं नमः नमः 723 पुरी भूत्वाह पुरो भूत्वाह 693 इद नवं इदं वनं 726 12 उपासर्वत् उपासर्पत् 684 प्रतिध्वति: प्रतिध्वनि: 726 11,12 दृष्टा दृष्ट्रा धवित्वा धावित्वा 727 8 विषेधामि निषेधामि 701 दैवप्रभावात् दुर्दैवप्रभावात् 729 अवलोक्या अवलोक्य दुदैववशाज् दुर्दैववशात् 728 दानयोगेने दानयोगेन 702 2 पैर्षाध: नैर्षाध: नैषधि 728 सामोपचरेण सामोपचारेण 903 1 रोषण सह रोषेण सह 729 અટકાતો નથી અટકતો નથી BOY 2 प्अति बूते प्रतिबूते 731 2 खालिवदम् खल्विदम् ( संभाजी) (Diमनी) 72 धन्ती दयमन्ती 7064 तेषा दोषः तेषाम् दोषः 74 7 पअदीपेन प्रदीपेन soe 14 अङ्गारखत् अङ्गाखत् 930 दोष विना, अपराध विना दोषं विना, अपराध निना 711 2 तुसा सुता 740 उक्ता उक्त्वा 711 છેલ્લી इथयं इयम् 740 लतापाश लतापाशं 713 15 शेषनागगरलमूच्छित शेषनागगरलमूर्छित 741 अपर्ण: सपर्ण: 713 15. चेयये चेतये 742 10 उच्चे: उच्चैः 713 . छेधी दर्शम दर्शय 743 पापकसंरंभ - पापसंरंभ
SR No.036462
Book TitleNal Damayanti Charitrayam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayshekharsuri, Sarvodaysagar
PublisherCharitraratna Foundation Charitable Trust
Publication Year
Total Pages915
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size93 MB
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