________________ चरित्रं अर्थ-पुण्यमां लीन करेली बुद्धिवाला ते देशना लोको राजाने मार्गे धर्म अने नीतिने अनुसरवा लाग्या, कारण के जेवो राजा नाभाका थाय तेवी तेनी प्रजा होय छे // 287 // एवं यथा यथा पृथ्व्यां, पुण्यवृद्धिस्तथा तथा / काले वृष्टिर्धान्यपुष्टि-बहुपुष्पफला द्रुमाः // 288 // बहुक्षीरप्रदा गावो, बहुरत्नाश्च खानयः। व्यवसाया महालाभा, दूरदेशाः सुसञ्चराः // 289 // निरामया निरातङ्का, महासौख्याश्चिरायुषः। पुत्रपौत्रादिसन्तान-वृद्धिभाजोऽभवन जनाः।२९० त्रिभिर्विशेषकम् अर्थ-आवी रीते पृथ्वीमा जेम जेम पुण्यनी वृद्धि थवा लागी तेम तेम सारीरीते समयसर दृष्टि थवा लागी, घणुं धान्य नीपजवा लाग्यु, वृक्षो घणा पुष्पो अने फळ आपनारा थया // 288 / गायो अधिक दूध आपवा लागी, खाणो घणा रत्नोवाळी थइ, व्य18 पारमा अतिशय लाभ थवा लाग्यो, घणा दूरना देशो पण सुखरूप मुसाफरी थई शके तेवा थया / / 289 // तेमज लोको निरोगी, निर्भय, अत्यंत सुखी, लांबा आयुष्यवाळा अने पुत्र-पौत्रादि संततिनी वृद्धिवाळ थया // 29 // / एवं तदाज्यलोकानां, धर्मशर्म निरीक्षणात्। हियेव स्वर्गिणोऽभूव-नश्या धर्मवर्जिताः // 291 // अर्थ- आवीरीते ते राज्यना लोको धर्मना प्रभावथी एटला सुखी हता के जे सुखने जोइ धर्मवजित देवो पण पोताने सुखरहित मानवा लाग्या, अने तेथी जाणे लज्जा आववाथी पोते अदृश्य थइ गया होयनी ! // 291 // श्रीनाभाकनराधीशः, प्रपाल्येति चिरं स्थिरम / राज्यं प्राज्यं प्रान्तकाले, संसाध्याऽनशनं सुधीः // 292 // & 2 NAD.Gunratnasuri M.S Jun Gun Aaradha