________________ नाभाकाला शजय उपर चडवो राजा शोभवा लाग्यो // 219 // .. प्रासाददर्शने पूर्व-मपूर्वोत्सवपूर्वकम् / याचकेभ्यो ददद्दानं, कल्पवृक्षायते स्म सः // 220 // चरित्र // 53 // IP दान आपतो ते नाभाक राजा साक्षात् कल्पवृक्ष समान देखावा लाग्यो / 220 // ___ स्नात्रपूजाध्वजारोपा-मारिस्नानाशनादिकम् / सर्व सङ्घपतेर्धर्म-कर्माऽष्टाहमपि व्यघात् // 221 // 13 संघपतिनां धर्म कार्यो कर्यां // 221 // / तीर्थसेवाचिकी मा-नापृच्छयाऽथ विधिं गुरुन् / धर्मध्यानैकलीनात्मा, त्रिकालं पूजयन् जिनम् // 222 // अहोरात्रं पवित्राङ्गो, महामन्त्रमसौ स्मरन् / साधून साधर्मिकांश्चाऽपि, प्रतिपारणकं स्वयम् // 223 // सत्कारयन् यथायोग्यं, भकपानेर्यथोचितैः। मासेन दश षष्ठानि, निरम्भांसि वितेनिवान्।२२४। त्रिभिर्विशेषकम् / अरिहंत प्रभुनी पूजा करतां, पवित्र अंगवाळो थइ रात्रि-दिवस परमेष्ठी महामंत्रनु स्मरण करता, दरेक पारणाना दिवसे साधुओने अने Junoun AaradhakLS Gunratnasun M.S.