________________ नाभाक // 13 // GAAAAAAककबाब ततो गतो वनं राजा, चतुर्ज्ञाननिधीन् गुरुन् / ज्ञात्वा नत्वाऽन्तरायाणां, हेतून् पप्रच्छ भक्तिभाक् // अर्थ-त्यार बाद राजा पोताना कुटुंब परिवार सहित अत्यंत भक्तिवडे उल्लसित चित्तवान् थइ उद्यानमां गयो, त्यां जइ गुरुमहा चरित्रं राजने विधिपूर्वक वंदन करी तेमने चार ज्ञानना निधि जाणी पोताना अंतरायर्नु कारण पूछयु. // 39 // गुरवो मनसा सीम-धरस्वामिजिनं ततः / नत्वाऽप्रक्षुरथ स्वाम्य-प्यूचे तन्मनसाऽखिलम् // 4 // अर्थ-त्यार पछी गुरुमहाराजे मन घडे श्रीसीमंधर जिनेन्द्रने नमीने पूछयुं, त्यारे श्रीसीमंधरस्वामीए मनथीज सर्व वृत्तान्त निवेदन कर्यो.11 __ मनःपर्यायतो ज्ञानात, श्रीयुगन्धरसूरयः। सम्यग् विज्ञाय वृत्तान्तं, तं जगुर्भूपति प्रति // 41 // अर्थ-श्रीयुगन्धराचार्य मनःपर्यायज्ञानथी सर्व वृत्तान्त सम्यक् प्रकारे जाणीने राजाने जणाव्यु के-॥४१॥ राजन् ! सुखेषु दुःखेषु, मुख्यं कर्मेव कारणम् / तच्चार्जितं त्वया पूर्व, यथा मूलात् तथा शृणु // 42 // अर्थ-हे राजन् ! सुख अने दुःख ए बन्ने प्रसंगोमां दरेक माणीने मुख्य कारण कर्मज छे. अने तेवू कर्म पूर्वभवमां तें जे उपार्जन 3. कर्यु छे ते बीना तुं अथथी इति पर्यंत सांभळ. // 42 // ___ नाभाकराजाना पूर्वभवनुं वृत्तान्त.. एकोनविंशत्यम्भोधि-कोटाकोटिप्रमाणतः। कालात् परमतीतायां, चतुःसंयुतविंशतौ // 43 // 55555IESSAGE Gunratnasuri M.S Jun Gun Aaradhak ANNA