________________ श्रीगोकतुधिषिरखित श्रीनाकताक्षषितम भूमिपतिसहस्त्राणां, षोडशानां च मूर्धनि॥ आज्ञा संस्थाप्य राज्यं स्यं धर्मच समपालयत् // 282 // अन्वयः षोडशानां भूमिपतिसहस्त्राणां मूर्धनि आज्ञा संस्थाप्य राज्यं स्वधर्म च समपालयत् // 282 // विवरणम्:- षोडशानां षोडशसल्याकानां भूम्याः पतयः भूमिपतय: राजानः भूमिपतीनां सहस्त्राणि भूमिपतिसहस्राणि तेषां भूमिपतिसहस्त्राणां मूर्धनि शिरसि, षोडससहस्त्रभूपतीनां शिरसि स्वामाज्ञां संस्थाप्य स्वं राज्य स्वधर्म च समपालयत सम्यक्तया पालयामास // 282 // सरलार्थ:- षोडशसहस्त्रनृपाणां मूर्धनि स्वा आज्ञा संस्थाप्य स्वं राज्यं धर्म च सम्यक्तया पालयामास // 282 // .. ગુજરાતી :- નામાકરાપાએ સોળ હજાર રાજાઓ ઉપર પોતાની આશા પ્રવર્તાવી ને સમાજ પ્રકારે પોતાના રાજ્યનું અને ધર્મનું पावन 21 // 25 // // 282 // दी :- नाभाक राजाने सोलह हजार राजाओं के ऊपर शासन किया (अपनी आज्ञा प्रवर्तित की।) और वह सम्यक् प्रकार से अपने . राज्य और धर्म का पालन करने लगा।२८२।। ठी :- नाभाक राजाने सोळा हजार राजावर आपली आज्ञा चालविली आणि तो उत्तम रीतीने आपले राज्य आणि धर्माचे पालन करू लागला.।।२८२।। English :- King Nabhak exercised his authority over sixteen thousand kings and as a nutrient nutured his kingdom and his religion whole-heartedly. AL E X *264] * *