________________ ... | भावार्थ-हे नामाकराजा! तुं भानना भवर्मा मुरस्थल गाममा मुखी हतो तेज भवर्मा ते साक्षात पुण्यस्वरूप || जिनमंदिरने पाडी नाखी गामनी चारे बाजु किलो बनान्यो हतो // 197 // . भूपैवं तत्र विप्रस्त्री-भ्रूणगोतीर्थघातिनः। पश्च हत्या इमाः सर्वाः, पुण्यविघ्ननिबन्धनम् // 198 // . भावार्थ-हे राजन् ! आ प्रमाणे भानुना भवमा ते विपघात, स्त्रीघात, पालघात, गौघांत अने तीर्थयात || च. आची रीते पांच मोटी इत्याओ करी इती, आ सर्व हत्याओ तने आ भवर्मा पुण्यनुं विघ्न यवाचं कारणभूत ||72 ययेली छे // 198 // तत्रापि यागाविघ्नस्य, तीर्थहत्यैव कारणम् / अतस्तदपनोदाय, प्रायश्चित्तमिदं शृणु // 199 // भावार्थ-तेोमां पण तने शर्बुजयनी यात्रामा आवी पडेला विघ्न कार दूर करवा माटे आ प्रकारे प्रायश्चित्त सांभळ // 199 // तपोऽभूद् वार्षिकं मूल-मादिदेवस्य वारके। अष्टमास्यधुना मावि-वारे पाण्मासिकं ततः॥२०॥ PP.AC. Gunratnasuri M.S... Jun Gun Aaradhak Trust