________________ mer ना. षष्टिवर्षसहस्राणि, श्रीशत्रुञ्जयपर्वते / आयु क्त्वा नागजीवो, व्यन्तरश्च्युतवानथ // 137 // भावार्थ-व्यंतर देवपणे उत्पन्न थयेल नागश्रेष्ठीनो जीव श्रीशचुंजय पर्वत उपर साठ हजार वर्षनुं आयुष्य भोगवी त्यांथी ज्यव्यो // 137 // .... कान्तिपुर्ण रुद्रदत्त-कौटुम्बिकसुतोऽभवत् / सोभाभिधानस्तन्माता, पञ्चमेऽन्द्रैऽहिना मृता // 138 / 'भावार्थ-श्रीशत्रुजय पर्वत उपर व्यंतरपणे उत्पन्न ययेल नागश्रेष्ठीनो जीव साठहजार वर्षतुं आयुष्य भोगवी च्यवीने कांतिपुरी नगरीमा रुद्रदत्त नामना कुटुंबीनी सोम नामनो दीकरो थयो. ते पुत्र ज्यारे पांच वर्षनी उम्मर- || मो थयो त्यारे तेनी माता सर्पदंश थवाथी मरण पामी // 138 // तत्रास्ति नास्तिकः प्राति-वैश्मिको देवपूजकः / सोमोऽपि सह तत्पुत्रै-ति देवनिकेतने // 139 // . भावार्थ-ते नगरीमा तेना घरनी नजीक नास्तिक नामनो देवनो पूजारी पाडोशी रहेतो हतो, ते पूजारी-|| ना पुत्रो साये सोम पण देवसंदिरमा जका लाग्यो / // 139 / / P.P.AC. Gunratnasuri M.S. - Jun Gun Aaradhak Trust