________________ . ... 1 ततो गतो वनं राजा, चतुर्ज्ञाननिधीन गुरुन् / ज्ञात्वा नत्वाऽन्तरायाणां, हेतून् पप्रच्छ भक्तिभाक् // 39 // भावार्थ--त्यार बाद राजा पोताना कुटुंब परिवार सहित अत्यंत भक्तिवडे उल्लसित चित्तवान् थइ उद्यानमा गयो, त्यां जइ गुरुमहाराजने विधिपूर्वक चंदन करी तेमने चार ज्ञानना निधि जाणी पोताना अंतराय कारण पूछयु.॥ 39 // ................................ ---- || . गुरको मनसा सीम-न्धरस्वामिजिनं ततः। नत्वाऽमाक्षुरथ स्वाम्य-प्यूचे तन्मनसाऽखिलम् // 41 // भावार्थ-त्यार पछी शुरुमहाराजे मन वडे श्रीसीमंधर जिनेन्द्रने नमीने पूछयुं, त्यारे श्रीसीमंधरस्वामीए मनयी पसर्व वृधान्त निषेदन को. // 40 // मनापर्यायतो ज्ञानात्, श्रीयुगन्धरसूरयः। . सम्यग् विज्ञाय वृत्तान्तं, तं जगुर्भूपतिं प्रति // 41 // || भावार्थ- श्रीयुगन्धराचार्य मनःपर्यायज्ञानथी सर्व वृत्तान्त सम्यक प्रकारे जाणीने राजाने जणाव्यु के-॥४१॥ // 'P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust