________________ धर्म- तं कुकर्म कीदृदं / मया दुर्गतिगामिना // 40 // एवं विधराचार–घोरावर्जितकर्मणः // मन्ये | श्वब्रेऽपि नैवास्ति / निवासो निर्पणस्य मे // 1 // केनोपायेन नो जाने / लोकधर्मविरोधिनः / / "अमुतः पातकाद् घोरा–बुधिर्मम जविष्यति // 42 // एवमात्मानमत्यंतं / निंदतं पापजोरुकं // 39 कुबेरदत्तमार्यापि / वचो योऽब्रवीदिदं // 3 // किं त्वं महानुगावै / खेदं वहसि मानसे // यः तस्ते सर्वमेवेदं / जातमझानदोषतः॥ 44 // अझानांधितबुद्धीनां / यज्जीवानां विमंबनाः॥ न. वत्येवंविधा घोरा-स्तदत्राहो किमद्भुतं // 45 // कृत्याकृत्यमजानाना / जीवा प्रज्ञानदोषतः // हिंसादिन्यो न कुर्वति / विनिवृत्ति कदाचन // 46 // अनिवृत्ताश्च ते तेज्यो / विदधत्यसमंजसं // तस्मादज्ञानतः सर्वा / जीवानां हि विनंबना // 4 // यत्त्वया चिंतितं घऽ / पातकादमुतः क. थं // शुधिर्जायेत मे तत्र / तवोपायः प्रकथ्यते // 4 // सर्वेषामपि पापानां / प्रव्रज्या शुधिकारिका // जिनोदिता ततः सैव / कर्तव्या शुधिमिलता // 45 // ददति ब्राह्मणादिभ्य / एके पा. पविशुष्ये / / गोदानं स्वर्णदानं च / मिदानान्यनेकधा // 20 // श्रात्मशुध्यर्थमेवान्ये / कारयं. | ति व्रतान्यपि / / जुह्वत्यमौ पशूस्तत्र / ह्यश्वादींश्च सहस्रशः // 11 // अमेध्यभुग्गवामेके / पृष्टनाः | P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust