________________ धर्मः | निवेश्य नरधर्माख्यं / सर्वलोकस्य संमतं // संभाष्य पौवं लोकं / सन्मान्य च यथोचितं // 53 // | कृत्वा सामग्रिकां सर्वा / सांतःपुरो नरेश्वरः / कुर्वन् सर्वजनानंदं / समायातः पितुः पुरं // 14 // विनिर्विशेषकं // आनंदितस्ततो राजा / सर्वः परिजनस्तथा / / नरचं समायाते / जीमूत श्व के 343 | किनः // 55 // ततो राजा निजे राज्ये | नरसिंहो निवेश्य तं // दत्वा धर्मे धनं त्रुरि / कृत्वा सर्व यथोचितं // 16 // धर्मार्थी स्वक्रमायातं / वनवासमशिश्रियत् // नरचंद्रोऽपि संजातः। प्रजा. नंदो महानृपः // 17 // युग्मं // प्रभूता साधिता पृथ्वी / प्रऋता जझिरे गजाः // प्रजूता वाजिनो जाताः / प्रताः स्यंदनास्तथा // 17 // वव रिपादातं / द्रव्यं जातं प्रतकं // शत्रवो मित्रतां नीता / गुणग्राही जनः कृतः // 50 // नल्लासिता सिता कीर्ति-विश्वविश्वाजिगामिनी // पूरिता रिदानेन / समस्तार्थिमनोरथाः // 60 // एवं प्रकुर्वता तेन / नरचंडेण ऋनुजा // मध्ये परोपकर्तृणां / स्वा रेखा धुरि वापिता // 61 // अन्यदा बहिस्थाने / चंपकामोदनामनि // शी. लसुंदरनामानः / समायाता मुनीश्वराः // 62 / / चतुनिसुविज्ञात सर्व विज्ञेयविस्तराः // बहुशि| व्यसमायुक्ता / गव्यांगोरहनास्कराः // 63 // तदागमं समाकर्ण्य / वंदनार्थ बहुर्जनः // पुरमध्या Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.