________________ धम्मि- हली // 1 // कामचार तयोदिय / प्राह प्रीतिमती प्रियं / अपराई मया किं ते / यहच्ये देश | दर्शनात् / / ए // स्वमेव धिन्वसि दूरी-कृत्य स्निग्धमिमं जनं // विश्वनरेरपि स्वामिन् / दृष्टिः कु. दिन रिस्तव / / ए३ // त्वयि तार्य श्वादन-देशदर्शिनि नर्तरि // न नूप कूपमंमूक-खापवा६४५ | दो गतो मम // ए४ // तन्मे पूरयतादेक-यानावस्थानदोहदं // मोहदं वचनं तस्या / इदं त. | दणो जगौ नृपः // ए५ // स जगावुनयोरेव / यंत्रोऽयं देव वाहकः // सीदत्यधिकसंपर्के-णाति. | राजा क्रीमा करवा लाग्यो. // ए१ // एवी रीते तेन बन्नेने स्वामुजब फरता जोश्ने प्रीतिमती राणीए पोताना खामीने कह्यु के, हे स्वामी! में यापनो शुं अपराध कर्यो ? के मने श्राप दे. शो देखामता नथी. // 55 // हे स्वामी था स्नेही जनने दूर करीने श्राप पोतेज जे मोज मा. णो गे, तेथी एम जणाय ने के श्राप जगतनुं पोषण करनारा बतां पण पापनी दृष्टि तो पेटनरीज . // 73 // वली हे राजन् ! गरुमनीपेठे सर्व देशोने जोनारा एवा आप मारा स्वामी - तां मारो कुवाना देमकापणानो अपवाद गयो नहि. // ए४ // माटे एक वाहनमां बेशवानी मा. |री मनकामना थाप पूरी करो? हवे एवी रीतनुं मोह उपजावनाएं तेणीनुं वचन राजाए कोका P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust