________________ // श्रीजिनाय नमः॥ // अथ श्रीधम्मिलचरित्रं जाषांतरोपेतं प्रारभ्यते // ___(चतुर्थो नागः) ___(मूलक -श्रीजयशेखरसूरिः) नाषांतरकर्ता- श्रावक मनसुखलाल हीरालाल हंसराज. (जामनगरवाळा) दध्यौ शीलवतीपार्श्व / प्राणेशसुहृदोऽपि हि // एकाकिन्या न मे तत्र / गंतुं रहसि युज्यते // 5 // रहो हुतवहोदर्चि-कराला वीदय योषितं // नृणां द्रवीभवत्येव / मनो मदनवन्मृदु // 53 // वास्तां परपुमान यूना / पित्रा नाता सुतेन वा // एकाकिन्या सहैकांते / न त्यारे शीलवतीए विचार्य के त्यां मारा स्वामिना मिलनीपासे पण मारे एकांतमां एकला जवू योग्य नथी. // 55 // केमके अमिनी शिखासरखी जयंकर स्त्रीने एकांतमा जोश्ने पुरुषोने कोमळ मन मीणनीपेठे पीगळीज जाय . // 23 // परपुरुष तो एक बाजु रह्यो, परंतु यवान P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun-Gun Aaradhak Trust