________________ धषित समये दीदा-मुरीकृत्य तपोजलैः // धौतकर्ममलो गंता / तत्वतः पदमच्युतं // 50 // एवं बुध सार्थ | श्रुतिसुधातिधम्मिलस्य / सम्यमिशम्य चरितं करुणाकरस्य // श्रामुष्मिकैहिकसुखाय नजंतु जंतु -रदार्थमादरमुदारधियः सदैव // 1 // इति श्रीधम्मिलचरित्रस्य चतुर्थो जागः समाप्तः // // इति श्रीजयशेखरसूरीऽकृतं धम्मिलचरित्रं संपूर्ण // महाविदेह क्षेत्रमा उत्तम कुलमां जन्म पामशे. / / ए // त्यां पण समये दीदा ले तपरूपी जलथी कर्मरूपी मेलने धोश्ने तत्वथी मोदस्थानमां जशे. // 50 // एवी रीते दयानी खाणसरखा ते धम्मिलमुनिनुं विद्वानोना कोने अमृतना ऊरणासरखं चरित्र सम्यक्प्रकारे सांगलीने नदार बुद्धिवाळा मनुष्यो हमेशां था लोक अने परलोकना सुखमाटे जीवदयामां यादर करो? // 1 // एवी रीते श्रीधम्मिलचरित्रनो चोथो नाग संपूर्ण थयो . .. ॥श्रीजयशेखर सूरीश्वरे रचेला श्रीधम्मिलचरित्रनुं गुजराती भाषांतर संपूर्ण थयु.॥ P.P.AC.Gunratnasuri-M.S. Jun Gun Aaradhak Trust