________________ धम्मि- न्यपि जीयेत / साविकी स्त्री कचित्पुनः // एकापि श्वापदौवेन / व्याधी जेघीयतेऽपि किं // 50 // सार्थ शीलवत्या महासत्या / मातचिंतय साहसं // क्रूरानपि नृपादीन् या / स्कवनिरगर्ल्सयत् // 1 // दीपेऽत्र जरते क्षेत्रे | मध्यमंमलमंडनं // लक्ष्मीनिवासमित्यस्ति / नगरं प्रीतनागरं ॥एशा स्था. 537 नं हारिविहाराग्रे / प्राप्य प्रमुदिता श्व / / ननृतुः किंकिणीनादा-नुगं यत्रानिशं ध्वजाः // ए३ // राजारिमर्दनस्तत्र / सुत्रामेव त्रिविष्टपे // कः परबलोबेदे / चक्रे राजन्वतीः प्रजाः // ए४ // का. जमराज सेवता नथी? // जय // परंतु हिमतवान स्त्रीने एकली बतां पण परपुरुषो हेरान करी शकता नथी, केमके एकली वाघण पण शुं पशुनना समुहथी जीताय ? // 50 // वळी हे मा. ता! तुं महासती शीलवतीनी हिमतनो विचार कर? के जेणीए क्रूर एवा राजाधादिकोने पण निम्री नाख्या . // 1 // श्रा जंबूद्वीपमा चरतक्षेत्रमा मध्यममलने शोजावनाएं श्रने खुश थयेला पुरजनवाचं लक्ष्मीनिवास नामे नगर ने. // ए॥ मनोहर मंदिरोना अग्रभागमां स्थान मेलवीने जाणे खुश थ. | होय नहि तेम ज्यां हमेशां ध्वजा घुघरीनना नादने अनुसरतुं नृत्य करती हती. // 73 // . P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust