________________ साथ। धम्मि- बरदीव नदी यथा // 43 // धम्मिलः स्माद सेत्स्यति / मम सर्वे मनोरथाः / / सत्कर्मपरिणत्येव / त्वया मातः प्रसन्नया // 4 // एवं मिथः कथादिप्त हृद्न्यां तान्यां तमखिनी // दीणैव ददृशे साकं / कमलायाः प्रमीलया // 45 // ग्रामाधिपमथापृच्छ्य / प्रातस्ताच्यामधिष्टितं // रथं सोऽचाल५० / यचंपा-ध्वनि ध्वनितऋतलं // 46 // उत्तालतालाहिंतालं / स्फुरवंबरमंबरं // दारुणोदारदार| मनेकानेकपाकुलं // 4 // निःशूकदंदशूकाली-कालीकृतमहीतलं // प्रतन्तसंचारं / कांतारं // 42 // माटे हे दद! हवे तुं एवी रीते बोलजे तथा करजे के जेथी या दुभायेली एवी. पण मारी पुत्री शरदऋतुमां नदीनीपेठे ताराप्रते प्रसन्न थाय. // 3 // त्यारे धम्मिल बोल्यो के हेमाताजी! सत्कर्मनी परिणतिनीपेठे जो तमो मारापर प्रसन्न थशो तो मारा सर्व मनोरयो सिक थ. शे. // 4 // एवी रीते परस्पर कथामांज लीन थयेला मनवाळा एवा तेज बन्नेए रात्रिने क्षय | पामेली जोइ बने ते साथे कमलानी निंद्रा पण नष्ट थर. // 45 // पजी ते गामना गकोरनी रजा लेश्ने प्रजाते तेन बन्नेथी अधिष्टित थयेला रथने पृथ्वीने शब्दवाळी करतोयको. चंपा नग. / रीने मार्गे चलाववा लाग्योः // 46 // पछी ते उंचां ताल अने हिंतालनां वृदोवाळां, कुदता सा. P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust