________________ गुण खाण // सरस सुधारस हंती मीठडी, वीर जीणेसर वाण // स्वा० // 1 // सूक्ष्म बादर त्रस BI स्थावर वळी, जीव विराहण टाल // मन वच कायारे त्रिविधे स्थिर करी, पहिलं व्रत नित पाल // 4 // स्वा० // 2 // क्रोधे लोभेरे भय हास्ये कररी, मिथ्या म जाखेरे वेष // त्रिकरण शुद्धेरे व्रत धारा, धजे, बीजं दीवस ने रेण // स्वा० // 3 // गामे नगरेरे वनमा विचरंतां, सचित्त अचित्त तृणमात्र॥ || काइ अण दोधुरे मत अंगीकरे, त्रीजे व्रते गुण पात्र // खा // 4 // सुर नर तिर्यच योनी संबं. धीया, मैथुन करी परिहार // त्रिविध त्रिविधेरे तुं नित पाळजे, चोथु व्रत सुखकार // स्वा // IPI॥५॥धण कण कंचण वस्तु प्रमुख वळी, सर्व सचित्त अचित्त // परिग्रह मूळ रे तेहनी परिहरी, 18 धरी व्रत पंचम चित्त // स्वाण // 6 // पंच महाव्रत एणी परे पालज्यो, टाळजो जोजन रात // पाप स्थानक सघळां परिहरी, धरो समता सविनांत / स्वा० // 7 // पुहवी पाणी रे वायु वनस्पति, अगनी ए थावर पंच // विति चउ पंचिंदी जलयर थलयरा, खयरा त्रस परपंच // स्वा॥॥ ए बकायनी बांझी विराधना, जयणा करे सवि वाण // विण जयणायेरे जीव विराधना, जांखे तिहुशण जाण // स्वा० // ए // जयणा पुरवक बोलतां बेसतां, करतां आहार निहार // पाप kHHHHHARASHEKHERE Cre PAGunratnasuri M.S.. Jun Gun Aarad!!