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________________ m h रख करन मन / / बिजन सुघर। तारै चौंसठ चमर। (12) अंतम ग्रीवक वास, दुसै पंचास चाप तन खरगासन बहु सकत, रकत तन हरख कर थिति तीस लाख पूरव पुरी, कौसंवी सब जा सिर नाय नमौं० // 7 // सुपार्श्वनाथ / देत सुपास सुपास, पंच ग्रीवकतें आए। सुपरतिष्ठ भूपाल, पृथीसैना मन भाए // नगर बनारस धाम, स्वाम खरगासन राजै। चिन्न साथिया बीस, लाख पूरब थिति छाजे तन हरित वरन दोसै धनुष, सुर ढारै चौंसठ सिर नाय नमौं० // 8 // चंद्रप्रभ / चंदप्रभू प्रभ चंद, चंदपुर चंद चिन्न गन / महासैन विख्यात, मात लछमना स्वेत तन / वैजयंततॆ आय, काय खरगासनधारी। आव पुव्व दस लाख, भए सबको सुखकारी॥ डेडसै धनुष तन भविक जन,हंस पाय तुम मानसर सिर नाय नमौ० // 9 // पुष्पदन्त। सुवुधि सुबुधि करतार, सार प्रानतके थानी। महा भूप सुग्रीव, जीव जयवामा रानी॥ उज्जल वरन सरीर, धीर खरगासन जानौ। काकंदीपुर साख, लाख दो पूरब मानौ // (133) तन धनुष एक सौ भौ-रहित, सहित चिन्न जलचर मकर / सिर नाय नमौ० // 10 // शीतलनाथ। सीतल सीतल वचन, भद्रपुर आरन स्वर वर / दिढरथ तात विख्यात, सुनंदा माता अवतर // नबै धनुषको देह, धीर कंचनमय गायौ / आव पुव्व इक लाख, खरगआसन सुख पायौ // श्रीवृच्छ चिन्न केवल प्रगट, भिन्न भिन्न भाख्यौ सुपर। सिर नाय नमौ० // 11 // श्रेयांसनाथ। भज नेयांस स्रयास, स्वर्ग सोलमके वासी / ... विस्नुराज महाराज, मात नंदा परकासी // असी चाप तनमाप, आप गैंडेको लच्छन / खरगासन भगवान, सिंहपुर कनक वरन तन // चौरासी लाख वरस भुगत, दुख-दावानल-मेघ-झर। सिर नाय नमौ० // 12 // वासुपूज्य / वासुपूज्य वसुपूज्य, भूप वसु विधिसौं पूजौ। दसम लोकतें आय, रकत सुभ काय न दूजौ // सत्तर चाप सरीर, धीर चंपापुर आए। लंछन महिष मनोग, जोग पदमासन गाए // थिति लाख बहत्तरि वरसकी, जयावती माता सुमर / सिर नाय नमौं० // 13 // 1 लाल। Scanned with CamScanner
SR No.035338
Book TitleDhamvilas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDyantrai Kavi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1914
Total Pages143
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size61 MB
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