________________ (88) प्रश्न-चोर एकले दो खंड करौ,सौ हजार लाखौं विसर जुदे जुदे देखौ निरधार, दीसे नहीं कहीं जिय सार उत्तर-अरनैकी लकड़ी लै वीर, ढूंक किरोर करौ किन बिना घसैं न अगनि परगास,त्यों आतम अनुभौअभ्या प्रश्न-भूजल अगन पवन नभ मेल, पांचौं भए चेतना खे ज्यों गुड़ आदिकतै मद होय, मद ज्यौं चेतन थिर नहिं को दोहा। उत्तर-पांचौं जड़ ए आप हैं, जड़तें जड़ ही होय। गुड़ आदिकतै मद भयौ, चेतन नाही सोय // 12 // भू जल पावक पौन नभ, जहां रसोई जान / क्यौं नहिं चेतन ऊपजै, यह मिथ्या-सरधान // 12 // प्रश्न-जल वुदबुदवत जीव है, उपजै और विलाय। देह साथ जनमै मरै, जैसें तरवरछाय // 13 // ___चौपाई। उत्तर-बालक मुखमै थनकौं लेय, दावै अंचे दूध पिवेय। जो अनादिको जीव न होय, सीखविना क्यों जानै सोय 14 मरिकै भूत होंय जे जीव, पिछली वातें कहैं सदीव / / सिर चढ़ि वोलें निज घर आय, तातें हंस अमर ठहराय 15 : प्रश्न-पुन्य पाप भा जगमाहिं, पै काहूनें देखे नाहिं। 1. भिड़हाँ चाल चलै संसार,समझै कोई समझनिहार१६ उत्तर-एक भूप सुख कर अनेक, पेट भरि सके नाहीं एक / परगट दीख धोखा कौन, चार वरन छत्तीसौं पनि // 17 // प्रश्न-सुरग नरक नाहीं निरधार, जिन देखे सो कही पुकार। * खंजर वेग? कहें सब लोग,लरकै डरपाव हित जोग // 18 // करिक धरम सुरग गयो, कह्यौ न फिरि जिह आय / भयौ पापत नारकी, क्यों नहिं आयौ भाय // 19 // चौपाई। उत्तर-पापी पकरयौ औगुनकार, पगवेरी गल संकल धार / धेरै रहें निकास न होय, त्यौं आवै नहिं नारक कोय // 20 // न्हाय सुगंध वसन सुम-माल, नेवज दीप धूप फल थाल। पूजन चल्यौ दिसाकौं जाय, तैसें नहिं आवै सुरराय // 21 // तुम निचिंत तप करौ न वीर, हम तप करै धेरै मन धीर। जो परलोक न हम तुम सोय, है परलोक तुमैं दुख होय 22 प्रश्न-खेती कीनी सुपर्नेमाहिं, पै काहूनें खाई नाहिं। कोई काटै कोई खाय, कोई हाथ धरै मरि जाय // 23 // उत्तर-कोई काहूकौं दे दाम, ताहीपै मांगै अभिराम / जोई खाय पेट ता भरै, जहर खाय है सोई मरै // 24 // दोहा। जो काहूको धन हरै, मारै काहू कोय / जनम जनम सो क्रोधतें, हरै प्रान धन दोय // 25 // 1 जंगलकी। 2 जहां रसोई बनती है, वहां पांचों भूत एकत्र होते हैं। भेड़चाल, जहां एक भेड़ जावे, वहां उसके पीछे सब जाती हैं। / 1 जातियां / 2 यदि परलोक नहीं है तो हम तुम बराबर है, और यदि कहीं हुआ तो तुम्हें दुख भोगना पड़ेगा हम आनन्दसे रहेंगे। Scanned with CamScanner