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________________ (248) तथा // 3 // लायौ है बबूलमूल खायो चाहै अंव भूल, दाहजुर नासनकों सोवै सेज ततियां। द्यानत है सुख राई दुख मेरकी कमाई, देखौ रायचेतनिकी चतुराई बतियां // 3 // सवैया तेईसा। को गुरु सार वरै सिव कौन, निसापति को किह सेव करीजै। . कौन बली किम जीवनको फल,धर्म करें कब क्या अघ छीजै॥ कर्म हरैकुन कौन करै तप, स्वामिको सेवक कौन कहीजै। द्यानत मंगल क्यौं करि पाइय, पारस नाम सदा जपिलीजैष्ट कौन बुरा तम कौन हरै, तजिये न कहा किहकों तजि दीजै। क्या न करै किहकौं न धरै, किहतूं लरियै किहमैं न रहीजै। का सहुभिन्न चलै कि नहीं,व्रत स्वामिकौ देखिकै क्याउचरीज द्यानत काम निरंतर कौन सो, पारस नाम सदा जपिलीजैप का सहु दान कहा उपजै अध, को गृह ऊपर काहि पड़ीजै। कौन करै थिर कैसे हैं दुर्जन, क्यों जस कौन समान गनीजै॥ का कहु पालियै धर्म भजै किम, धर्म बड़ा कहु कौन कहीजै। द्यानत आलस त्याग कहा सुभ,पारस नाम सदा जपिलीजै सवैया इकतीसा। निज नारि खोय पूछ पसुपंछी वृच्छ सब, तुम कहीं देखी सु तो तीनलोक ग्याता है। हर्नाकुस पेट फाखौ कंस जरासिंधु मायौ, ताकौं कहैं कृपासिंधु संतनिको त्राता है। बैल असबार दोय नार औ त्रिसूल धार, गलमै वघंवर दिगंवर विख्याता है। (249) ऐसी ऐसी बात सुनि हांसी मोहि आयत है, सूरजमैं अंधकार क्यों कर समाता है // 7 // चारौं गति भाव यार सोलही कपाय 'सार', तीनों जोग 'पासे' टार दोप 'दाव' पर हैं। जीव मरै कर्म रीत सुभा सुभ 'हार जीत' संयोग वियोग सोई मिलि मिलि विछर हैं। चवरासी लाख जोनि ताके चवरासी भौन, चारौं गति विकथामैं सदा चाल करें हैं। चौपरके ख्यालमैं जगत चाल दीसत है, पंचमकौं पाय ख्यालकों उठाय धेरै हैं // 8 // सुनि हो चेतन लाल क्यों परे हो भवजाल, बीते हैं अनादि काल दीसत कंगाल हौ। देखत दुख विकराल तिन्हीसों तेरौ ख्याल, कछु सुध है संभाल डोलत वेहाल हो / घरकी खवरि टाल लागि रहे और हाल, विष गहि सुधा चाल तज दीनी वाल हो / गेह नेहके जंजाल ममता लई विसाल, त्यागिकै हजै निहाल द्यानत दयाल हो // 9 // सवैया तेईसा। संग कहा न विपाद वढावत, देह कहा नहिं रोग भरी है। काल कहा नित आवत नाहिं नैं,आपद क्यान नजीक धरी है नर्क भयानक है कि नहीं, विषयासुखसौं अति प्रीति करी है। प्रेतके दीप समान जहानकों, चाहत तो बुधि कौन हरी है 10 Scanned with CamScanner
SR No.035338
Book TitleDhamvilas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDyantrai Kavi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1914
Total Pages143
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size61 MB
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