SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 307
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ परिशिष्टम्-२ जत्ताविहाणमेयं 9/50 जिण्णासावि हु एत्थं जत्थ कसायणिरोहो 19/26 जीयमिणं आणाओ जत्थऽत्थमेड़ सूरो 18/11 जुत्तीए अविरुद्धो जमहिगयबिंबसामी 8/19 जुत्तीसुवण्णगं पुण जमुभयजणणसभावा 3/44 जुत्तो पुण एस कमो जम्हा उ अभिस्संगो 6/19 जे इह सुत्ते भणिया जम्हा एसो सुद्धो 19/44 __ जे इह होंति सुपुरिसा जम्हा समग्गमेयंपि 14/12 जे उ तह विवज्जत्था जय वीयराय ! जगगुरु 4/33 जे उ पमत्ताणाउट्टियाएँ जयणा उ धम्मजणणी 7/30 जे जंमि जंमि कालंमि जयणा य पयत्तेणं 7/29 जे पुण एयविउत्ता जयणाए वट्टमाणो 7/31 जेटुंमि विज्जमाणे जरसमणाई रयणा 4/26 जो अत्तलद्धिओ खलु जह उस्सग्गंमि ठिओ 14/14 जो चेव मावलेसो जह बालो जंपतो 15/47 जो जस्स कोइ भत्तो जह संकिलेसओ इह 15/4 जो साहू गुणरहिओ जह सिद्धाण पतिट्ठा 8/34 जो जहवायं ण जा गंठी ता पढम 3/30 जो होइ निसिद्धप्पा जा चिय गुणपडिवत्ती 9/24 जोए करणे जाओ य अजाओ य 11/27 जोग्गेऽवि अणाभोगा जायइ य सुहो एसो जो च्चिय सुहभावो खलु जायणपुच्छाणुण्णा 18/9 झयइ पडिमाएँ ठिओ जिणबिंबस्स पइट्ठा 8/2 णंदादिसुहो सद्दो जिणभवणकारणविही 7/9 ण करति जिणभवणकारणाइवि 6/35 ण य अपुणबंधगाओ जिणभवणबिंबठावणजत्तापूजाइ 6/3 ण य तज्जुत्तो अण्णं जिणबिंबपइट्ठावण 7/45 ण य तत्थवि तदणूणं जिणभवणादिविहाणहारेणं 6/17 ण य तस्स तेसुवि तहा 272 3/26 15/11 18/45 14/39 10/49 14/40 11/36 11/37 16/44 18/48 12/50 9/47 12/35 6/33 13/21 14/41 11/46 12/25 14/3 12/9 7/8 10/19 7/19 14/6 3/8 14/22 3/23 5/22
SR No.035335
Book TitlePanchashak Prakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmratnavijay
PublisherManav Kalyan Sansthan
Publication Year2014
Total Pages355
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy