________________ पाए गए। 3. मंदिर की प्राचीनता को नष्ट करते हुए मंदिर में कई नई मूर्तियो को / बिठाई जा रही है। 4. इसके साथ तपागच्छ एवं जैन शासन के इतिहास को भ्रमित करते हुए मूर्तियों पर खरतर सहस्राब्दी गौरव वर्ष लिखा गया है / इससे समस्त खरतरगच्छ कलंकित हुआ है। इस प्रकार मारवाडी समाज ट्रस्ट एवं खरतरगच्छाचार्य श्री मणिप्रभसागरजी द्वारा जिनशासन एवं तपागच्छ के साथ विश्वासघात हुआ है। परिस्थिति को देखते हुए तपागच्छ प्रवर समिति द्वारा इस कार्य के विषय में इस क्षेत्र में बिराजमान अवंति पार्श्वनाथ के प्रमुख प्रतिष्ठाचार्य आ.श्री हेमचन्द्रसागरसूरि म.सा. एवं तपागच्छीय श्रावक भूषणभाई शाह को इस कार्य को संभालने की जिम्मेदारी दी गई जिस के अनुसंधान में पूज्यश्री रोज के 40-45 कि. मी. के विहार करते हुए अवंति पधारे और मौके पर पहुंचने के बाद निम्न प्रयत्न किए गए। 1. मंदिर के सभी प्राचीन शिलालेख आदि की जानकारी इकट्ठी की गई। 2. मंदिर में बिराजमान होनेवाले मूर्ति, गुरुमूर्ति एवं चरणपादुका आदि के नवीन लेखो का एकत्रीकरण एवं निरिक्षण किया गया। 3. अनेक ट्रस्ट मंडल की बेठक बुलाई गई। 4. संदर्भित अलग-अलग व्यक्तिओं को बुलवाकर जाँच करवाई गई। 5. कलेक्टर को एवं एस.डी.एम. को ज्ञापन सौंपा गया / अपना पक्ष संपूर्ण संतोषप्रद तरीके से रखा गया / 6. अनेक अपमान-अव्यवस्था को सहनकर कार्य को आगे बढाया गया। 7. खरतरगच्छाचार्य मणिप्रभसागरजी से चर्चा-विचारणा की गई जिसमें अवन्ति पार्श्वनाथ जैन मारवाडी समाज ट्रस्ट द्वारा तपागच्छीय प्रवर समिति को पत्र द्वारा जो विश्वास दिया गया था, उसको सुदृढ हुए-निम्न मुद्दो - पर उनसे सहमति ली.