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________________ ( ५६ ) 9 मनोहारी रे ||७|| छोटेलाल शाह दूगड़ को श्रद्धा अनुपम त्हारी । संक्रांति को सफल मनावे, चमत्कार थयो भारी रे ॥५॥ सद्गुरू बीकानेर पधारे, स्वागत मंगलाचारी । नव दरवाजा खूब सजाया, राज्य लवाजम भारी रे ||६|| चैत्री ओली दिक्षा उत्सव, प्रतिष्ठा शुभकारी । तप गच्छ दादा बाड़ी होवे, गुरू मन्दिर प्रेरणा साध्वी वसंत श्री की कहता न कोचर मण्डली भक्ति करती, सद्गुरू गुण गानारी रे ||5|| दादा साहब सूरित्रय की पूजा अष्ट प्रकारी । दास ऋषभ रचना कर गावे, प्रेरणा सद्गुरु म्हारी रे ||९|| धूम करे निशि दिन यति गण, अभिमानी शिथिलाचारी । पाखण्ड मद उनका चूरा था, वल्लभ सूरि ब्रह्मचारो रे ||१०|| बीकानेर की राणी विदुषी, भेजे भेंट तिहारी । • साधु आचार के विरुद्ध बताकर, भेंट नहीं स्वीकारी रे ||११|| वल्लभ हीरक जन्म महोत्सव ठाठ हुआ था मारी । भूल नहीं सकते उस दिन को, निकली प्रभु की सवारी रे ||१२|| चौक सतावीस घूमे सवारी, आनन्द मंगलकारी । सम्मलित होवे शिष्यों के संग, वल्लभ सूरि उपकारी रे ||१३|| महाराणी की विनती पाकर, देशना कौनी जारी। आवे पारी । गंगा थियेटर प्रजा मिनिष्टर, जय जय शब्द उच्चारी रे ||१४|| रामपुरिया जावंत भंवर ने, गुरुं की सेवा धारी । प्रतिज्ञा मेघराज सुराणा, सफल करे अवतारो रे ॥१६ ॥१ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035306
Book TitleYugpravar Shree Vijayvallabhsuri Jivan Rekha aur Ashtaprakari Puja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Daga
PublisherRushabhchand Daga
Publication Year1960
Total Pages126
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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