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________________ आत्मानन्द जैन लाइब्रेरी, महिलाशाला खुलायो । काठियावाड़ जूनागढ़ जाकर, उद्घाटन कर पायो ॥१५॥ वेरावल महिला शिक्षण पर, पूरण जोर लगायो । औषधालय शिक्षण शाला को, आप मदद करवायो ॥१६|| मांगरोल नगरी में आकर, प्लेग का रोग मिटायो। नबाब तेरो प्रेरणा पाकर, कतलखाना रुकवायो ||१७|| ऐसे कई उपकार किये तुम, महिमा पार न पायो । आतम वल्लभ सूरि समुद्र, ऋषभ गुरू गुण गायो ||१|| : दोहा : मोतीलालजी मूलजी, देवकरण सेठ साथ । सद्गुरु बम्बई आवजो, विनवे तुमको नाथ ॥ ४ ७ ९ १ संघ ऋषि निधि सूर्य में, बम्बई नगर शोभाय । सच्चे मोती साथिया, स्वर्णफूल बरसाय ॥ गोडीजी का उपाश्रय, भाषण सुन्दर थाय । विद्यालय महावीर का, कोष लाख इक थाय ॥ पाटण बोडिंग जैन का, मण्डल कोष भी थाय । एक लाख उसमें हुआ,भवि जन मन हर्षाय ॥ . पन्यास संपत प्रेरणा, अहमदाबाद के मांय । कल्याणक श्रीवीर की, पूजा कृति सुहाय ॥ दुष्काल पड्यो पाटण नगरी, पूजे गुरु का पाय । दान धर्म व्याख्यान पार, कोष एकत्रित थाय ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035306
Book TitleYugpravar Shree Vijayvallabhsuri Jivan Rekha aur Ashtaprakari Puja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Daga
PublisherRushabhchand Daga
Publication Year1960
Total Pages126
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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