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समपण
विश्व की अनुपम विभूति, नवयुग प्रवर्तक, न्यायाम्मोनिधि, दादा प्रभावक जैनाचार्य श्री श्री १००८ श्रीमद् विजयानन्द सूरीश्वरजी
__ (आत्मारामजी ) महाराज के पट्टधर विश्व वत्सल, अज्ञान तिमिर तरणि, कलिकाल कल्पतरु, भारत दिवाकर, परम शासन मान्य, संघरक्षक, सूरि सार्वभौम, मरुधरराट्, पंजाब केशरी, अनेक शिक्षण संस्थाओं के प्रेरक जं० यु० प्र० मट्टारक परम पूज्य जैनाचार्य श्री श्री १००८ श्रीमद् विजय वल्लभ सूरीश्वरजी
महाराज साहब
के
पट्टधर परम गुरुमक्त, शान्त मूर्ति, पूज्य जैनाचार्य श्री श्री १००८ श्रीमद् विजयसमुद्र सूरीश्वरजी महाराज साहब के करकमलों में युग प्रवर श्री विजय वल्लम सूरि जीवन रेखा और अष्टप्रकारी पूजा नामक यह पुस्तक सादर समर्पित ।
-ऋषभचन्द डागा
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