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( ब ) आदर्शवादिता कूट-कूट कर भरी हुई है, यह इनकी सफलता का पूर्ण प्रमाण है। प्रस्तुत पुस्तक में भी लेखक ने इतने बड़े महान् त्यागी, तेजस्वी के जीवनवृत्त को सूत्ररूप में उल्लेखित कर सागर को गागर में भरने का जो स्तुत्य प्रयास किया है, वह कोई कम प्रतिभाजनक नहीं है । इसके साथ-साथ ही पूजा के रूप में पद्यमय गीतिका में यह रचना कर और भी आकर्षण पैदा किया है। जिससे पोठक, गायक सभी समान रूप से लाभ उठा सकते हैं।
इस पुस्तक में गीतिकाएँ भी छन्द, स्वर व लय की परम्परा को निभाने वाली हैं। चूंकि जीवन में संगीत का महत्त्व विशेष होता है, इसमें आदर्श ग्रहण के साथ जो आकर्षण है, वह उपादेयता को और भी सिद्ध करने वाला है।
श्री डागाजो एक व्यवसायी व्यक्ति होते हुए भी सरस्वती माँ की जो सफल उपासना कर रहे हैं, यह हमारे लिये कम गौरव का विषय नहीं है। व्यवसाय में रत रहकर भी ये साहित्य-साधना में जो समय लगाते हैं, वह इनकी अनूठी लगन को सिद्ध करता है । इस पुस्तक में चित्रों का चुनाव, पुस्तक की छपाई और सफाई भी इनकी कुशलता के परिचायक हैं। आपने कई संस्थाओ के पदाधिकारी रहकर निःस्वार्थ भाव से समाज की सेवा को है, वह किसी से छिपी नहीं, कलकत्ते की श्री जैन सभा को तो प्रारम्भ में ऊँचा उठाने का समस्त श्रेय आप ही को है, ऐसा कहा जाय तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।
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