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________________ आरती। जय जिन ओंकारा प्रभु जय जिन ओंकारा आरती उतारूँ जय जिन ओंकारा । अंचली । ऋषम अजित संभव आभनंदा मुमति सुमतिकारा-प्रभु सुमति सुमतिकारा । पदम प्रभु सुपारस स्वामी चंद्र प्रभु धारा-जय जिन ऑकारा । जय० १॥ सुविधि शीतल श्रेयांस जिनंदा वासु पूज्य प्यारा-प्रभु वासुपूज्य प्यारा । विमल अनंत धरम जिन शांति कुंथु हितकारा–जय जिन ओंकारा । जय० २॥ अरमाल सुव्रत नमि नेमि पारस सुखकारा-प्रभु पारस सुखकारा । वर्द्धमान प्रभु वीर जिनेश्वर शासन सरदारा–जय जिन ओंकारा । जय० ३ ॥ चउवीस जिनके गणधर सोहे शत दश और चारा-प्रभु शत दश और चारा । बावन ऊपर वीर प्रभुके गणधर अग्यारा-जय जिन ओंकारा । जय० ४ ॥ इंद्रभूति और अग्निभूति वायु भूति सारा-प्रभु वायु भूति सारा । व्यक्त सुधर्मा मंडित छटा मौर्य पुत्र सारा-जय जिन ओंकारा । जय० ५ ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035302
Book TitleVeer Ekadash Gandhar Puja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayvallabhsuri
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1928
Total Pages42
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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