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________________ ( ३६ ) जिनपवीरगिरागतकल्मषं, मणधरं श्रुतरत्नधरं स्तुवे ॥ १ ॥ मंत्र | ॐ ह्रीं श्रीं, परमपुरुषाय, परमेश्वराय, जन्मजरामृत्युनिवारणाय, सर्वलब्धि निधानाय श्रीमते मंडितस्वामिंगणधराय, जल। दिकं यजामहे स्वाहा । ॥ अथ सप्तम श्री मौर्यपुत्र गणधर पूजा ॥ ७ ॥ दोहा. मौर्य पुत्र गणि सातमा, मौर्य गाम परधान । विजयादेवी मात जम, मौर्य तात अभिधान ॥ १ ॥ जन्म रोहिणी जानिये, काश्यप गोत्र उदार । पांस वर्ष घरे रहे, छउमथ चउदस धार ॥ २ ॥ सोर्ले बरस जिन केवली, इषु-ग्रह पूरण आय । जैभ सर शिखि बहु साथमें, परिवारे सुख दाय ॥ ३ ॥ देव विषय संदेह युत, संशय छेदन काज । वीर चरनमें आ गये, तब भाखे जिनराज ॥ ४ ॥ मौर्य पुत्र सुख सातसे, आये तुम संदेह | देव विषय वेदार्थका, जानो मतलब एह ॥ ५ ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035302
Book TitleVeer Ekadash Gandhar Puja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayvallabhsuri
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1928
Total Pages42
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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