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महान् विजेता
आचार्य श्री नरेन्द्रदेव जी महावीर स्वामी ने जन्म-मरण की परम्परा पर विजय प्राप्त की थी। उनकी शिक्षा विश्व मानव के कल्याण के लिये थी। अगर आपकी शिक्षाः संकीर्ण रहती तो जैनधर्म अरब आदि देशों तक न पहुँच पाता ।
-ज्ञानोदय वर्ष १, पृ० ८२३ ।
प्रेम के उत्पादक
प्राचार्य श्री विनोवा भावे जी लोग कहते हैं कि अहिंसा देवी निःशस्त्र है मैं कहता हूँ यह गलत खयाल है। अहिंसा देवी के हाथ में अत्यन्त शक्ति शाली शस्त्र है। अहिंसा रूप शस्त्र प्रेम के उत्पादक होते हैं, संहारक नहीं।
-ज्ञानोदय भाग १, पृ० ५६४ ।
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