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ब्राह्मण धर्म पर जैन धर्म की छाप
लोकमान्य श्री बालगङ्गाधर तिलक
जैनधर्म अनादि है । गौतम बुद्ध महावीर स्वामी के शिष्य थे । चौबीस तीर्थकरों में महावीर अन्तिम तीर्थंकर थे। यह जैन धर्म को पुनः प्रकाश में लाये, अहिंसा धर्म व्यापक हुआ । इनसे भी जैन धर्म की प्राचीनता मानी जाती है । पूर्वकाल में यज्ञ के लिये असंख्य पशु-हिंसा होती थी, इसके प्रमाण मेघदूत काव्य' तथा और ग्रन्थों से मिलते हैं । रन्तिदेव नामक राजा ने यज्ञ किया था,
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महाकवि कालिदासकृत मेघदूत श्लोक ४५ ।
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