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________________ जैन अहिंसा और भारत का पतन कुछ लोगों को भ्रम है कि जैनियों की हिंसा ने भारतवासियों को ऐसा कायर बना दिया था कि वह अपनी स्वतन्त्रता को खो बैठे, परन्तु यह कल्पना झूठी है। वास्तव में भारत का पतन आपस की फूट, खुदगर्जी और विश्वासघात के कारण हुआ ' । 9 २ सिकन्दर ने भारत पर चढ़ाई की तो इसकी मुठभेड़ सबसे पहले अश्वक क्षत्रियों से हुई । पंजाब के लोगों ने भी एक हज़ार योद्धा उनकी सहायता के लिये भेजे लेकिन यूनानियों के संगठित आक्रमण के आगे वह न ठहर सके । यदि तक्षशिला के हिन्दू राजा ने उनका साथ दिया होता तो इस संग्राम का यह रूप न होता । वह अपने स्वार्थ में बह गया और सिकन्दर के साथ होकर भारत के विरुद्ध लड़ा' । पुष्कलावती का दुर्ग भी दो भारती सरदारों के विश्वासघात के कारण सिकन्दर के हाथ लगा ४ । आरन्स (Aornos ) के दुर्ग का मार्ग भी एक बूढ़े हिन्दू ने ही बताया था । शशिगुप्त नाम के एक क्षत्रिय ने भी सिकन्दर को सहायता दी थी, जिसके कारण सिकन्दर ने आरन दुर्ग की हकूमत शशिगुप्त को प्रदान कर दी थी । सिकन्दर के साथ पौरुष ( Poros ) वास्तव में बहादुरी से लड़ा, लेकिन खुद इसका बहतीजा और दूसरे रिश्तेदार अपने-अपने स्वार्थ के कारण सिकन्दर से जा मिले, जिसको देख कर पौरुष ने भी सिकन्दर के आगे घुटने टेक दिये। यही नहीं, बल्कि कई हिन्दू राजाओं ने लड़ाई में सहायता दी । ऐबीसरेस ने भी देश के साथ ऐसा ही विश्वासघात किया । इस तरह स्वयं हिन्दुओं की सहायता से भारत में १. जैन सिद्धान्त भास्कर, वर्ष ६ पृ० ७६ । २-४. Cambridge History of India, Vol. I. P. 331-350. ५-६. McCrindle: Ancient India, P. 72, 197, 73.114, I12. [ ४३३ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035297
Book TitleVardhaman Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambardas Jain
PublisherDigambardas Jain
Publication Year
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size134 MB
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