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________________ श्री ऋषभदेव जी का जन्म अयोध्या नगरी में हुआ इस लिये वह पवित्र भूमि पूजनीय है । यहां और भी अनेक तीर्थङ्करों का जन्म होने के कारण जैन धर्मानुसार अयोध्या जी मुक्ति प्राप्त कराने का परम तीर्थ है, यही बात कवल हिन्दू ही नहीं बल्कि मुसलमान भी कहते हैं । "हिन्दूधम में मथुरा, काशी, पुरी आदि मुक्ति के देने वाले सातों तीर्थों में प्रथम तीर्थ अयोध्या को बताया है।" । "मुसलमान अयोध्या नगरी को काबारारीफ के समान पवित्र और सत्कार योग स्वीकार करते हैं'' जैनधर्म में श्री ऋषभदेव के समारी व धार्मिक शिक्षा देने और खेती, बनज़ आदि व्यापार की विधि बताने वाले प्रथम महापुरुष, आदिनाथ, आदीश्वर, विष्णु ब्रह्मा तथा प्रथम तीर्थङ्कर कहा है यही बात अथर्ववेद कहता है कि "सम्पूर्ण पापों से मुक्त तथा अहिंसक व्रतियों के प्रथम राजा आदित्यस्वरूप श्री ऋषभदेव है।" | "मैराजुलनबूत" नाम के ग्रन्थ में मुसलमान लेखक ने बाबा आदम का भारत में होना बताया है । बौद्धिक के शब्दों में ऋषभदेव ही बाबा आदम हैं | ऋषभदेव के प्रतिबिम्ब पर जैन धर्मानुसार बैल (Bull) का चिन्ह होता है । कुछ विद्वानों का मत है शिव जी (महादेव) के जिस नादिये बैल के सींगों पर संसार का कायम हाना कहा जाता है, उसका मतलब श्री श्रषभदेव जी से है । १-२. दैनिक उर्दू मिलाप नई देहली, (१८ अक्तूबर १९५३) पृ० १३ । ३. Prof. A. Chakravarti, I. C. S. Jain Antiquary, Vol IX - P. 76. ४. अंहोमुचं वृषभं यशियानां विराजन्तं प्रथममध्वराणाम् । अपां नपातमश्विना हुंचे धिय इन्द्रियेण इन्द्रियं दत्तमोजः ॥. -अथर्ववेद कां० १६।४।४ ५. जैन प्रदीप (देववन्द) वर्ष १२ अङ्ग ११ । ६. तीर्थङ्करों के चिन्हों का रहस्य जानने के लिये 'अनेकान्त' वर्ष ६, पृ०.११६ । ७. "Modern Review, Calcutta (August, 1982) PP. 166-169. ४०६ ] Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035297
Book TitleVardhaman Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambardas Jain
PublisherDigambardas Jain
Publication Year
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size134 MB
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