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________________ मल्लिनाथ, अरिष्टनेमि, पाश्वेनाथ और महावीर पांच बाल-यति हुए हैं, जिन्होंने 'कुमार' अवस्था में संसार त्याग दिया था। स्वेताम्बरीय ग्रन्थ भी अपने पउमचरिय' तथा आवश्यकनियुक्ति नाम के ग्रन्थों में इसी बात को स्पष्ट रूप से स्वीकार करते हैं कि महावीर ने 'कुमार' अवस्था में संसार त्याग दिया था ! अब केवल यह देखना है कि 'कुमार' शब्द का अर्थ क्या है ? 'कुमार' का अर्थ है कुँवारा यानी अविवाहित अथवा ब्रह्मचारी ! आवश्यकनियुक्ति की गाथा २२१-२२२ में 'कुमार' शब्द का मतलब यदि बाल्यावस्था होता तो उसी ग्रन्थ की गाथा २२६ में 'पठमबस' अर्थात् पहली* यानी कुमार अवस्था में वीर स्वामी के दीक्षा लेने का कथन न आता ! इससे और भी स्पष्ट होगया कि पहली बार गाथा २२१ और २२२ में 'कुमार' शब्द का १. मल्ली अरिठुनेमी पासो वीरो य वासु पुज्जो ॥ ५७ ॥ एए 'कुमारसीहा' गेहाओ निग्गया जिवरिन्दा । सेसा वि हु राया पहई भोत्तण निक्खन्ता ॥ ५८ ।। -पउमचरिय २. वीरं अरहनेमि पासं मल्लि च वासुपज्जं च । एए मुत्तण जिणे अयसेसा आसि रायाणा ॥ २२१ ॥ रालकुलेसु वि जाया विशुद्धवंसेसु खत्तियकुलेसु । न य इच्छियामि से 'कुमारव सम्भि' पव्वइया ।। २२२ -आवश्यकनियुक्ति ३. (i) पाइय सद्द महराणवो कोष पृ० ३१६ । (ii) जैनागम शब्द संग्रह पृ० २६० । ' ४. वीरो अरिट्टनेमि पासो मल्ली वासपज्जो य । 'पठम एवए' पव्वइया ससा पुण पच्छिम वयंमि ।। २२६ ।। -आवश्यकनियुक्ति ५. मनुष्य की चार अवस्थात्रों में पहली कुमार अवस्था है:_(१) कुमार (२) युवा (३) प्रौढ (४) वृद्ध । २६६ ] Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035297
Book TitleVardhaman Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambardas Jain
PublisherDigambardas Jain
Publication Year
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size134 MB
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