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________________ परिचय ला० श्रीमन्दरदास, मैनेजिङ्ग डायरेक्टर सहारनपुर इलेक्ट्रिक सप्लाई कं. लि. व पार्टनर मनसाराम एण्ड सन्स बैङ्कर्स एण्ड हाउस प्रोप्राईटर, मसूरी वीर प्रभु के आदर्श जीवन और सन्देश के पवित्र तथा गूढ विषय को सरलता से दर्शाने वाले, इस पुस्तक के लेखक श्री दिगम्बरदास जैन, मुखतार सहारनपुर हमारे चिरपरिचित प्रेमियों में से हैं । १६३० से हमारा उनका एक दूसरे से घनिष्ट सम्पर्क रहा है । २५ वर्ष के इस विगत काल में हमें उन्हें देशसवक, लेखक, वीर-भक्त, समाज प्रेमी और हितेषी मित्र के रूप में देखने के बहुत से अवसर प्राप्त हुए । अपने इन अनुभवों के प्रकाश में हम उनके सम्बन्ध में निश्चितरूप में कह सकते हैं कि उनके हृदय में अहिंसा धर्म का गाढ़ा प्रेम है। यही नहीं बल्कि वह धर्म प्रभावना तथा अहिंसा प्रचार के लिए साधन भी जुटाते रहे हैं। गत कई वर्षों से वह वीर प्रभु के अनुपम जीवन और उनकी सर्व कल्याणकारी शिक्षाओं के सम्बन्ध में अत्यावश्यक और उपयोगी सामग्री इकट्ठी करने में लगे हुए थे। यह जो पुस्तक आज पाठकों के हाथों में है, वह आपके उस परिश्रम का ही फल है । इसकी तैयारी के लिये इन्होंने जिस प्रकार तन, मन, धन तीनों को धर्म भक्ति की स्वभावनाओं से प्रेरित होकर लगाया है, वह निःसन्देह प्रशंसा योग्य है। श्री दिगम्बरदास जैन का जन्म उत्तर प्रदेश के ज़ि० सहारनपुर की सरसावा नगरी में ६ जौलाई १६०६ को हुआ था। उनका विद्यार्थी जीवन बड़ा उत्तम रहा है, स्काउटिङ्ग में पुरस्कार' और Under the distinguished presidency of the Hon'ble Khan Bahadur Sheikh Abdul Qadir, Minister of Education for Punjab [ ३१ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035297
Book TitleVardhaman Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambardas Jain
PublisherDigambardas Jain
Publication Year
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size134 MB
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