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________________ भाग समझा जाता था' । इसी कुण्डपुर को कुण्डग्राम' अथवा कुण्डलपुर भी कहते हैं। इसमें बड़े बड़े बाजार' और सात मञ्जिले ऊँचे महल थे। यहां के स्वामी राजा सिद्धार्थ थे, जो 'णात' वंश के क्षत्रिय थे ! 'णात' यह प्राकृत भाषा का शब्द है और नात' ऐसा दन्ती नकार से भी लिखा जाता है ! संस्कृत में इसका पर्यायरूप होता है ज्ञात' । इसी से 'चारित्रभक्ति' में श्री पूज्यपादाचार्य ने "श्रीमज्ज्ञातकुलेन्दुना" पद के द्वारा श्री वर्द्धमान महावीर को 'ज्ञात' वंश का चन्द्रमा लिखा है'। राजा सिद्धार्थ महादयावान्, शक्तिमान् , क्षमावान् और बुद्धिमान थे ! इन के शुभ गुणों को देख कर वैशाली के महाराजा चेटक ने अपनी अत्यन्त रूपवती, शीलवती, गुणवती तथा धर्मवती पुत्री' २ त्रिशलादेवी प्रियकारिणी का विवाह राजा सिद्धार्थ के साथ किया था। १. श्रवण बेलगोल शिलालेख नं० १ । २. (i) सुखांभः कुण्डमाभाति. नाम्ना कुण्डपुरं पुरम् ॥ -हरिवंशपुराण, खण्ड १ मर्ग २ । (ii) सिद्धार्थनृपति-तनयो, भारतवास्ये विदेहकुण्डपुरे । -आचार्य पूज्यपादजी : दशभक्ति पृ० ११६ । 3 The birth place of Mabavira is Kunde-gram, a suburb ___of Vaisali a Villaga in Muzaffarpur Distriet, Bihar. -Dr. Herbert V. Guenther: V.0.A Vol. II. P. 232. ४-६. जैन संक्षिप्त इतिहास, (दि. जैन पुस्तकालय सूरत), भा० २, खण्ड १, पृष्ठ ४८-५०। ७-११. अनेकान्त वर्ष ११, पृष्ठ ६५ } १२. कुछ श्वेताम्बरीय ग्रन्थों में 'बहन' लिखा है परन्तु श्वेताम्बर मुनि श्री चौथमल जी के 'भ० महावीर का आदर्श जीबन' पृ० ५ पर साधु टी० एल० वास्वानी ने त्रिशला प्रियकारिणी को चेटक की पत्री स्वीकार किया है। २४२ ] Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035297
Book TitleVardhaman Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambardas Jain
PublisherDigambardas Jain
Publication Year
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size134 MB
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