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३ ग्रहस्थनी छबी तीर्थकर भगवाननी माफक मान आपनार, तथा तीर्थकर भगवाननी प्रतीमा आगळ भावना भवाय तेवी भावना भावनार जे कोइ हाय ते जैन शास्रनो द्रोही छे एम मानवू जोईए.
४ गृहस्थनी छबीने बच्चे मुकी आजुबाजु तीर्थकरनी छबीओ मुकवी ने ते गृहस्थनी छबीने “आ, जीनने नमीए. भवीका आ जीनने नमीए " आम जे कोई बोलता होय तो ते जीनाज्ञाना लोप करनारा छे.
५ लाडी गाडी ने वाडी विगेरे संसारी विषयोना भोगमां मस्त रहेनार ने जैन शास्रमां अध्यात्मी मान्यो. नथी ने तेथी तेवा जो कोइ होय तो तेने अध्यात्मी मानवा ए जिनाज्ञा विरुद्ध छे.
६ साधुनो वेष शास्त्रकारोए वर्णव्यो छे तेमां मोर पछिी के कमंडलु राखq बताव्यु नथी एटले मोर पछिी अने कसंडलु राह छंतां पोताने श्वेतांबर संप्रदायना, साधु कहेवरावनारा जे. कोई होय तेमने साधु मानवाना नथी..
प्रमाणे शास्त्र विरुद्ध वर्तन करनारा जो कोई होय तो तेमने जिनाज्ञाना उलंघन करनारा समजवा, एम, हमारो अभिप्राय छे.
जेठ वदी १३ वार शुक्र १९६८. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com