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________________ परमरमणीयशील विद्वद्मवर दैवज्ञरत्नाः श्रीवृन्दावनशर्माणः भवत्संकलित ताजिकसारसंग्रहाभिधानोऽयं ग्रन्थः ज्योतिःशास्त्रजिज्ञासूनां छात्राणां जन्मान्तरीय शुभाशुभ कर्मफल बुभुत्सूनाञ्च सर्वेषां महदुपकारकः सेत्स्यति अयञ्च प्रमागीभूतानेक प्राचीनग्रन्थाब्धिमवलोड्य संग्रहितः सरल गुर्जर भाषाटीकया समलंकृतश्च ग्रन्थेचास्मिन् सुगमता पूर्वकानेक कोष्टकादिविरच्यसुस्पष्टोदाहरणपूर्वक गणितगणनाप्रकारः दर्पगवत्प्रदर्शितः ताजिकसारसंग्रहनाम्नानेन ग्रन्थेनैकेनैव वर्षपत्रिकादि विरचितुं तत्फलञ्च सविस्तरं वर्णयितुं शक्यते अतएवास्यग्रन्थस्य यावती प्रशंसा क्रियते साल्पीयस्येव युष्मत्कायें साहाय्यं वितरतु भगवान्भवानीशः तत्कृपाकटाक्षेणाध्ययनाध्यापनेषु लब्धप्रचारो भवत्वयमिति तच्चरणसरोजेऽभ्यर्थना इतिशम् ।। पौषशुक्लैकादशी सं. १९७८ शास्त्री ज्येष्ठाराम छगनराम रा. ब. गिरधरलाल म्युनिसिपालेटी संस्कृत पाठशालाध्यापक-अमदावाद अल्हाबाद-सरस्वती ता. १ मे सने १९१८ ताजिकसारसंग्रहः-छपाई सुन्दर, मनोहर जिल्द बँधी हुई, आकार बडा, पृष्ठ संख्या १७५ संग्रहकारः-जोशी वृन्दावन माणेकलाल, कालुपूर नवादरवाजा-अहमदाबादसे प्राप्य । ज्योतिषशास्त्रमें ताजिक या ताजक विषयक अनेक ग्रन्थ हैं। उन्ही से आवश्यक विषयोंका संग्रह करके इसमें एकत्र किया गया है। ऊपर मूल श्लोक देवनागरि लिपिमें हैं। नीचे उनका अनुवाद गुजराती लिपि और गुजराती भाषामें है। अनेक चक्र और सारिणियां देकर विषयों का विवेचन किया गया है । गणिताध्याय, भावाव्याय और फलाध्याय-इन तीन अध्यायो में पुस्तक विभक्त है । ज्योतिषियों के बड़े कामकी है। हिन्दीमें भी एक ऐसी पुस्तककी आवश्यकता है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035282
Book TitleTajiksara Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVrundavan Maneklal Joshi
PublisherVrundavan Maneklal Joshi
Publication Year1932
Total Pages224
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size18 MB
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