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सभयनेमणमा. जनेउको तोडा कटाई है चोटी
लिया तेरे दरका सहारा मुहम्मद । बुतोंकी परसतिशसे तायब हुवा है
___नहीं उन्की मुहबत गवारा मुहम्मद ॥ बुतोंको खुदा अपना जो मानते हैं
किया मैंने उन्से किनारा मुहम्मद । कोई राम मानें कोई कृष्ण मानें
___ हमें नामम है प्यारा मुहम्मद ॥ नहीं फेज मुझको बुतोंसे मिला कुछ
बहुत वसौँ शिर उन्से मारा मुहम्मद । मदीनाको दरवेश बनकर मैं जाऊं
___ यही मैंने दिलमें विचारा मुहम्मद ॥ तुम्हाराही शैदा तुम्हीं पर फिदा हूं
___ तुम्हीं से है मेरा गुजारा मुहम्मद । मदीनामें अपने हरिको बुलाले
यही नाम लेना तुम्हारा मुहम्मद ॥ મુહમ્મદ પરની ફિદાગિરીની હદ આવી ચુકી. એક મનુષ્ય પિતાના ધર્મથી ભ્રષ્ટ થઈને અન્યમાં ભળે છે, ત્યારે તેની શી દશા થાય છે, એનું આ પ્રત્યક્ષ ઉદાહરણ છે. આ મુસલમાન બનેલા જેને પિતાની રામ કહાણીમાં જે જે બાબતેનો ઉલ્લેખ કર્યો છે,
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