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________________ प्रश्नोत्तर एकसोपांत्रीसमो ३६३ ( त५ परतर मे अय 1 मोल १३७, २ २ मोड ६० मी) १३५ प्रश्न- श्रीजिनशासनि वइरागइ दीक्षा दीजइ अनइ खरतरांनइ खरीद-मोलना लीधा चेला दीखाइ छइ, ते स्युं ? ભાષા:-શ્રીજિનશાસનમાં વૈરાગ્યથી દીક્ષા દેવાય છે અને ખરતરને મૂલ્યથી ખરીદી લીધેલાઓને દીક્ષા દેવાય છે. તે શું ? तत्रार्थे-श्रीजिनशासनमांहि भाव पखइ दीक्षा न दिवराड, हिवइ ते दीक्षाना भाव वइरागई थाइ तथा आहारादिनइ अर्थि पुणि संप्रति राजाना जीव पूर्वभवना रोकनी परइ भूख संताव्यां पुणि दीक्षाना भाव. थाइ, श्रीगुरु पुणि लाभ जाणी दीक्षा आपइ, एवं लाजइ भयइ भावइ (l)थाइ, श्रीठाणांगसूत्रमांहि 'भूपावइत्ता बूयावइत्ता' इत्यादि दीक्षा देवाना विशेष कह्या छइ, शुद्धप्ररूपक गीतार्थनइ पूछिज्यो, ते भली परि सहु कहिस्यइ, ते भाव लिखाअइ नहीं, मुहामुह मिल्यांजि कह्या जाइ, शिष्यनइ नसाइ दीक्षा दीजइ? पीडा ऊपजावी दीक्षा दिवराइ ? एवं परिछेज्यो, तथा गृहस्थे आपणइ काजि खरीद कीधा हवा तेहनइ जइ भाव थाइ तउ तेहनइ चारित्रीया दीक्षा दीयाजि करइ, चन्दनबालानइ भगवंतइ दीक्षा दीधी, छेहडइ लेणहारनइ दीक्षाना भाव जोइयइ, दीक्षाना भाव पखइ न दीखीयइ, परं भली शुद्धजाति जोइ दीखीयइ, वली इम सांभलीयइ छइ श्रीआणंदविमलसूरि नवइ गच्छ करतां परिवार थोडा जाणी चारण कनडा रजपूत प्रमुख शिष्य दीख्या, वडी पोसालना यतियांनइ तेहना नाम जाति प्रमुख विस्तर लिख्या छइ, नवी प्ररूपणा तेहनी कीधी लिखी छइ, जइ भाव हवइ तउ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035209
Book TitlePrashnottar Chatvarinshat Shatak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherPaydhuni Mahavir Jain Mandir Trust Fund
Publication Year1956
Total Pages464
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size24 MB
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