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प्रश्नोनर एकसोबत्रीसमो युगप्रधान किण अतिशयवंन यतियइ तथा किणइ एक देवता अइ काउ हवइ तउ जोई यइ, बीजाना कह्या कोइ मानता नथी, जिम श्रीजिनदत्तसूरिजीना नाम श्रीयुगप्रधान गुरुना गवेषक अंबड (नागदेव) श्रावक भरणी अट्ठम तपई आकर्षायइ देवताअईयुगप्रधान एहवइ शब्दइ करी कह्या, परं ते अहंकारना वाह्या घणा मानता नथी अनइ बीजा केहनइ देवताअई युगप्रधान पहवई नामई कह्या पुणि जाण्या नथी, जइ कह्या हउत तउ तेहनाइ चेला अम्हारी परइ आपापणा गुरुनइ युगप्रधान कही बोलावत, आंपांपगी पट्टावलीमांहि तेहना नाम लिखत, परं न कीयइ देवताअई कह्या न लिख्या इम संभावीयइ छइ ।
सहू शिष्य आपणा २ गुरुना रागीजि थाइ, परं निराधारी विद्या न चालइ, वली 'त्रिशतरंगिणी' नामि तपागच्छना कीधा ग्रन्थमाह ३००मा) श्लोके श्रीदेवसुन्दरयुगोत्तमसूरिराजाः' तथा तत्रैव ग्रन्थे ३१०(मा) श्लोके “पद्माख्यदंडपरिकर-चिन्हैम्पलक्ष्य सूरयो वन्द्याः । भवता युगप्रधानाः, शिवदा इत्या दितद्वयनमम् ।। ३१० ॥” इत्यादि वचननइ मेलि तपारइ गच्छइ पुणि आपणा गुरुनइ युगप्रधान करी बोलाव्या छइ, परं जाणीयइ छइ तुम्हनइ ए शास्त्रनउ सांभलीवउ न थयउ जइ ए शास्त्र सांभल्या होत तउ इम न पूछत, सहूयइ रमतउ आप राखी रमइ, एवं प्रांपांपणा आचार्यांनइ रागना वाह्या तेहना गगी युगप्रधान कही बोलावइ छइ तउ तुम्हे इहां युगप्रधान कहतां कांइ दोहिला Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com