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प्रश्नोत्तर एकमोबेमो
३०५ छइ, एकंतर दिनइ जे जिमइ ते च उत्थ बि(दिननइ)अंतरे जे जिमइ तेहनइ छ? कह्या छइ, त्रिहुं दिनांनइ अांतरइ जे जुगलीया जिमइ तेहनइ अटुम कह्या छइ, एलइ ते युगलीया स्युं पचखाणीया थया ? सिद्धांतमांहि युगलीया “निप्पच्चक्खाण-पोमहोववासा' कह्या छइ. ते भणी च उत्थ छठ्ठ अट्टम ए पच्चक्खाण पचखणा नहीं, किन्तु ‘सूरे उग्गर अभत्तटुं पच्चखामि' इम पचखीयइ, जइ 'छट्ठभत्तं पन्चक्वामि' एम पचखाण करी छठ पचखीयइ त उ ‘च उत्यभत्तं पञ्चकवामि' इम कही १ उपवास कांइ न पचखउ ? शास्त्रांमांहि दशमा पंचखाण 'अभत्त' कह्या छइ पुणि 'चउत्थ छछादि' नथी कह्या, तपा श्रीदेवेन्द्रसूरिना कीधा पच्चक्खाणभाष्य जोज्यो, 'अंबिल ६ अभत्तट्ठ १० चरिम य' इति भाष्य पाठः । तथा चउत्थभत्ती ते कहाइ जे च्यारि भक्त छेदइ, यथा पारणइ उत्तरवारणइ १ वेला जिमइ, उत्तर वारणइ १ भक्त छेदइ उपवासइ २ भक्त छेदइ पारणइ १ भक्त छेदइ ते चउत्थभत्ती कहीयइ, चउत्थभत्ती छठभत्ती यतिनइ २ वार आहार लेवउ दशाश्रतम्कंधमांहि कह्यउ छइ, ते किम घटइ ? ते भणी चउत्थ छठादि संज्ञामात्रजि छइ, परं पचखाण ते अभत्तट्ठ जाणीवउ, जिम बिहुं आंबिले 'आयंबिल छट्ठ' कहीयइ तिम बि उपवासे 'छट्ठ' कहीयइ, श्रीभगवती प्रांते तथा श्रीउत्तराध्ययनवृत्तौ चतुर्थाध्ययने “जइ आयंबिलछठेणं एगोवि आलावगो एइ आयरिहिं भरणइ जइ न उठेइ ता अझयणं असंखयमगुण्ण विज्जइ" इत्यादि, एतलइ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com