SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 225
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २०८ प्रश्नोत्तरचत्वारिंशत् शतक ४ पहर उपरांति शीयालइ, ३ पहर उपरांति वरसाति कालइ कालातिक्रांत पाणी मचित्त थाइ, परं ६ पहर पाणी जे पीजइ छइ ते तिविहार पच्चक्खाणीतानइ सचिनपरिहारीनइ न कल्पइ, अनई वांतर प्राप्त पाणी पीतां वली वांतर प्राप्त थयानइ फासू कहाणा, कदाचित् यतिनइ रागइ अथवा आपनइ पीवानइ काजि फासू पाणी कसेलादिनइ योगइ करइ तउ पुणि अपकायनउ प्रारम्भ थाइ, परं केवल यतिनइ काजि उन्हा पाणी करतां छका. यनी विराधना थाइ, वली जइ त्रिह्नि उकाला पूग न थया हवइ तउ केतलाएक अपकार्ड या पयोप्ता अपर्याप्ता उवरईई, तथापि मचित्त परिहारी यतिनइ तिविहार पच्चक्खाणना भंग भणी तेहवा पाणी न लेवा न पीवा, दइणहारनइ पुणि देतां महादोष छइ, तथा कसेलाना पाणी मगलेइ उपवासे सूझइ, त्रिहुं उपवासां पछी विकिट्ठ भत्तीयानइ जे उन्हा १ पाणीजि कह्या ते श्रीकल्पसिद्धांतोक्त ६ पाणीयांनी अपेक्षायई छइ, अन्यथा तपारइ पोसहमांहि उपवासिता त्रिफलाना पाणी लूगडा संघातइ पहिलउ छाणीनइ पीयइ छइजि, जइ अणछाण्या पीयइ तउ पच्चक्खाण भंग कह्या छइ, इम श्राविधिविनिश्चय प्रकरणनी वृत्ति-पडावश्यकना बालावबोध तपांना कर्या ग्रन्थ जोज्यो, जिम ते तिम यतिनइ पिण जाणीवउ ॥ ५८ ॥ ભાષા–ઉë પાણી બે ઉકાળા સુધી મિશ્ર (અને) ત્રણ ઉકાળે ॥सू (अयित्त) थाय, ( ते पडेल अयित्त न थाय) ते (त्र 30 પહેલાના પાણી) સચિત્ત પરિહારી શ્રાવક તથા યતિ ઉપવાસમાં કેમ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035209
Book TitlePrashnottar Chatvarinshat Shatak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherPaydhuni Mahavir Jain Mandir Trust Fund
Publication Year1956
Total Pages464
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy